मन्या सुर्वे की बायोग्राफी:Manya Surve Biography

मन्या सुर्वे का जन्म 1944 कों महाराष्ट्र के रत्नागिरी के रनपूर गाॅव में हुआ । वो उनकी माॅ और  सावत्र पिता के साथ रहते थे। । वो कई वक्त लोअर परेल में रहे थे ।वो एक सुशिक्षित और स्मार्ट छात्र थे,वो पढाई में भी अवल्ल थे।  उनका असली नाम मनोहर अर्जुन  सुर्वे था । लेकिन उनका पोलिस स्टेशन के पेपर में  मन्या सुर्वे ही नाम दर्ज था ।उन्होंने किर्ती काॅलेज से BA ग्रज्युएशन किया,उनको 78% मिले थे ।उनको इंजिनियर बनना था।
  उनका सपना था की पास होकर अच्छी नोकरी करना। लेकिन हालात ने उन्हें मजबूर किया और वो अंडरवर्ल्ड के डाॅन  बन गये। वो काॅलेज के समय गुन्हेगारी क्षेत्र में आगये।
उनका बड़ा भाई भार्गव गुन्हेगारी क्षेत्र में गया। मन्या भी इसके चलते इस क्षेत्र में आगया, अंडरवर्ल्ड का डाॅन बन गया ।और उस वक्त पूरे मुंबई में मन्या की दहशत थी।

मन्या सुर्वे

1969 में दाडेंकर के खून के लिये मन्या सुर्वे और उनके सौतेले भाई भार्गव को इस्पेटर इ.एस. दाभोलकर ने उन्ह दोंनों को गिरफ्तार किया और उनको उमरकैद की सजा सुनाई गई।उनको पुणे के येरवडा जेल में रखा ।जेल में भी उनका दबदबा था वो जेल में भाई बन गया ।वहाँ कई कैदी उसके गँग में शामिल हो गए। जेल प्रशासन भी उसके आगे धक गया। उसकी दुश्मनी कैदी सुहास भटकळ  से हो गई। मन्या और सूहास अलग अलग समूह थें। आगे सुहास मन्या के साथीदारोंकों मारने लगा ये बात पुलिस प्रशासन को पत्ता चली। लेकिन कोई सबुत नहीं मिल रहा था। इसलिए मन्या को रत्नागिरी जेल में लाया गया।
    उसको अवैध रूप से रत्नागिरी जेल में भेजा इसलिए उन्होंने भूकहडताल चालू किया ।वो खाना नहीं खा रहे थे। इसलिए उसकी तबीयत खराब हो गई। और उनको रत्नागिरी के हाॅस्पिटल में लाया गया।
    14 नवबंर 1979 को वो रत्नागिरी के हाॅस्पिटल से भाग गये।
मन्या ने पुलिस से बदला लेने के लिए एक गँग बनाई ।और वह काले कारोबार करने लगे। मन्या ने 1969 में पहली हत्या की,तभी वह चर्चा में आ गया ।
  मन्या के वजहसे अंडरवर्ल्ड के पुराने डाॅन और पुलिस के लिए वो सिरदर्द  हो गया था ।सभी उसका गेम करने में  लगे हुये थे  ।लेकीन मन्या बेहद हुशार था ।इसलिए  पुलिस के लिए उसे पकडना बहुत मुश्किल हो गया ।
उस वक्त मुंबई में पटान डाॅन राज करते थे।लेकीन वो भी डर गये। मन्या के कारनामे सुनके उन्होंने उनके विरोधी गँग केसर को मारने के लिये मन्या से मदत ली। इस गँग का प्रमुख नेतृत्व दाऊद इब्राहिम का बड़ा भाई कबीर कासकर कर रहा था। उसका दादर का आगरा बाजार में सन्मान दबदबा था। मन्या ने  कासकर का खुन किया था ।दाऊद  आखिर तक मन्या से बदला लेना चाहता था। लेकिन उसको संभव्य नहीं था दाऊद मन्या के नाम से घबराता था । मन्या एकमात्र डाॅन था जिसने कई बार दाऊद को जान से मारने की धमकी दी थी।

दाऊद इब्राहीम को चुनौती देनेवाला डाॅन इसलिए भी मन्या सुर्वे को जानते थे और कई लोग उसको हिंन्दु गॅगस्टर  कहते थे ।
मुंबई में आकर उन्होंने गँग बनाई। धारावी का रोख मुनीर और डोम्बंवली का विष्णु पार्टी उन्होंने एक तरबेज गँग बनाई। उद्य 1980 को  इस गँग में आगया। 5 एप्रिल 1980 को उन्होंने अपना पहला डाका डालकर अब्येसिटर चुराई। और ये कार करी रोड में लक्ष्मी ट्रेनिंग कंपनी में 5700 रूपये लुटाये।

दादर के पुलिस स्टेशन पर उन्होंने पुलिस काॅस्टेबल को भी मारा था।जेल से निकले और उन्होंने फ्लाॅट लिया और वो सरकारी मिल स्कीम के पैसों को लूट लिया। गँग के दयानंद, परशुराम काटकर, किशोर सांवत साथ से उन्होंने कार चुराई और ये कार बाद्रां के नॅशनल काॅलेज माहिम के बिजली वरखा के पास मिली।
इसी तरह उन्होंने लूटमार शुरू कि थी। उन्होंने कॅनरा बॅक से 1.6 लाख चुराये थे। और वो खुख्यात डॉन बन गये। बाद में वो नारकोटिक्स ट्रैफिकिंग में जादा पैसे कमाने लगे। और उन्होंने इसका धंदा चालू किया। लोगों में मन्या महशूर हो गया। मुंबई पुलिस अब अंडरवर्ल्ड के डाॅन को लूट मार खूनों की शिक्षा और पुलिस की वजन ना करने की सजा दिलवा के रहे नये। और इसी चलते पुलिस इन्सपेटर ईसाक बागबानथी और राजा ताम्भंट इन्योनेट ये केस अपने हात लेकर मन्या का स्ट्रींग ऑपरेशन किया। उन्होंने प्लॅन किया ।
22 जून 1981 को मन्या का अड्डे का साधी शेख मुनीर को ताबे में लिया ।उसे मन्या के बारे में पूछा। लेकिन उसने कुछ बताया नहीं । गोरेगाव में दयानंद और काटकर को भी अरेस्ट किया।
लेकिन आदमी प्रेम में हार जाता है ,और मन्या के साथ में वही हुआ। मुंबई पुलिस ने उनके प्रेमिका को फसाया और उनको मिलने के लिए बुलाकर उसका एनकांऊटर किया ।
11 जनवरी 1982 को मुंबई पुलिस ने वडाला के बस डेपो के यहा मन्या को चारोओर से घेर कर उसका एनकांउन्टर में मारा। मन्या उस वक्त अपने प्रेयसी को मिलने आया था।

मन्या के जिंदगी पर बनी” शुट आऊट एट वडाला” ये फिल्म बनी थीं। जिसमें जाॅन अब्राहम ने मन्या की भूमिका किई थीं।

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