ताजमहल
शाहजहाॅने अपने बेगम
मुमताज के याद में आग्रा शहर में
यमुना नदी के किनारे बनाया था
यह वास्तू भारतीय फारसी और तुर्क
वास्तू शैली का मिश्रण हैं ।1983 को
ताजमहल
वास्तू को यूनेस्को में विश्व
धरोहर स्थल मानांकन दिया गया।
शाहजहाॅने ताजमहल बनाने के लिये दुनिया भरसे 25000
कारीगरों को लाया था।
।सामान लाने के लिये 1000 हाथिंका उपयोग किया था।
1989 इतिहासकार नागेश ओक ने लिखाथा की
ताजमहल
एक शिवमंदिर हैं और इसका नाम
तेजोमहालय
हैं
मुमताज शाहजहाॅ की तिसरी बेगम और सबसे पंसदीदा बेगम थी ।अपने इसी प्यार के याद में उन्होंने ताजमहल निर्माण करने की ठान लिई।