महात्मा गांधी की जीवनी :Mahatma Gandhi Biography

महात्मा गांधी कहते तो सामने आते है एक बडा आदमी जो गोल चश्मा लगाकर मुस्काराता हुआ बुढा जिससे रोज मुलाकात होती हैं ।कभी रास्ते में मुर्ति और नोंटों पर तो हर दिन होती रहती हैं और आज उस नोट तक सिमित ही गांधीजी हैं क्या सा एक संदेह होने लगा । गांधीजी के बारे में जो आज बघा हैं ये सोचने वाली बात हैं । गांधीजी के जितने अनुयायी थे ।उतने हैं उनके विरोधक  हैं ।कोई भी उनके उपर आरोप लगाकर उनको गाली देकर उनको तसल्ली होती थी।क्योंकी उनके विरोधक में बोलने  वाले उनके पिछे कोई विशिष्ट समाज या जात नहीं थी । गांधीजी के किसी भी समाज जाती के न होकर वो पुरे देश के हैं और किसी के भी नहीं ।
         जिस गांधीजी  को पुरा देश मान रहा है ।महात्मा गांधी जिसके  बारे में एक परदेशी आदमी भारत में आकर  उनके उपर फिल्म बनाता हैं और वो फिल्म चलती हैं |  भारत को आज भी गांधी के नाम से जाना जाता हैं ।भारत में गांधी जंयती आंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप मनाया जाता है|
    
महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ |उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माॅ का पुतलीबाई था |वो करमचंद की चौथी पत्नी थी |पुतलीबाई जैन्य धर्म के कारण अत्यंत धार्मिक थी |इसका  प्रभाव गांधीजी पर पडा इसके कारण आगे चलकर महात्मा गांधीजी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |

गांधीजी 13 वर्ष के होते ही उनका विवाह 14 वर्ष की कस्तुरबा से कर दी गया | ये विवाह उनके माता पिता ने तय किया तब बालविवाह की प्रथा थी जब शादी होने के बाद दुल्हन अपने माता पिता के साथ ही रहती थी |जब गांधीजी 15 साल के हुये तब  उनको पहला बच्चा हुआ |लेकिन वो जिवित नही रहा |और उस साल उनके पिता का भी देहांन्त हो गया | आगे उनको 4 बच्चे हुये|हरिलाल गांधी 1888, मणिलाल गांधी 1892 ,रामदास गांधी 1897 ,देवदास गांधी 1900

गांधीजी ने पोरबंदर के मिडील और राजकोट से स्कूल किया।वो 4 सितबंर 1888 को गांधी यूनिवसिर्टी काॅलेज लंन्दन में कानून की पढ़ाई करने  के लिये इंग्लंड चले गये उनको वहा शुरवाती दिनों मे शाकाहारी खाना न मीलने के वजहसे भूका रहना पडता था |बाद में उन्होने शाकाहारी रेस्टॉरंट का पता लगा वहाॅ उन्होंने सदस्यता लिई |वहाॅ के लोगो उनको गीता पढने को कहाॅ |वहा उनको अपने माॅ का देहांन्त हुआ पत्ता चला |
भारत लौट  आने के बाद उन्होंने बाॅम्बे में वकालत शुरू की वहाॅ उनको कोई खास उपलब्धि प्राप्त नहीं हुई |फिर उन्होंने एक हायस्कूल में शिक्षक की नौकरी स्वीकार ली |और जरूरत लोंगो के लिए मुकादम की अर्ज लिखने के लिए काम शुरू रखा |1893 को उनको भारतीय फर्म से नेटल (दक्षिण आफ्रिका) में एक वर्ष के करार पर वकालत का कारोबार स्विकार किया |

महात्मा गांधी

1893-1919 दक्षिण आफ्रिका नागरिक:24 साल की उम्र में वो दक्षिण आफ्रिका में गांधीजी को भारतीय पर भेदभाव का सामना करना पडा जब एक बार वो ट्रेन में प्रथम श्रेणी की टिकट वैध्य होने के बाद भी तिसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इनकार किया इसलिए उनको ट्रेन से बाहर फेक दिया गया |
दक्षिण आफ्रिका में भारतीय पर जुलूम हो रहे थे |इस वजहसे उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के मार्फत उन्होंने भारतीयो के सन्मान के लिये आवाज उठाई |1906 को जुलु युद्ध के  लिये ब्रिटिश सरकार के प्रेरणा मिली |

सबसे पहले गांधीजीं ने दक्षिण आफ्रिका के प्रवासी वकीलों का स्वरूप भारतीय लोंगो के अधिकार के लिये सत्याग्रह करना शुरू करा |वो 1915 को भारत आ गये |भारत आकर उन्होंने किसान, श्रमिकों के भेदभाव के विरूदध आवाज उठाया |

चम्पारन सत्याग्रह और खेडा सत्याग्रह:
1918 को गांधीजी द्वारा चंम्पारन और खेडा सत्याग्रह शुरू किया और वो इस आंदोलन मे सफल रहे |चंम्पारन में ब्रिटिश सरकार किसानों का खाद्य की बजाये नील की खेती करने के लिए मजबूर कर रहे थे |और जो वो नील की किंमत तैय करेंगें उस किंमत में बेचने के लिये जोर रखते थे |भारतीय किसानों को गरीबी ने घेर लिया ,वो निराश हो गये | तब उन्होंने गांधीजी  को मदत के लिये कहा |गांधीजी ने उनके साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार के विरोध प्रदर्शन, हडताल कीया |गांथीजी के साथ से उसमे वो सफल रहे और अग्रेंजो को उनकी बात माननी पडी |
तबी खेडा गाॅव में बाढ आई | किसान और मजदूरो की स्थिती बेहल हुई |वो कर माप करने की माॅग करने लगे |तब गांधीजी ने असहयोग आंदोलन किया |इस दोनो आंदोलन की वजहसे गांधीजी नेता बन गये |

गांधीजीने अंहिसा और सत्य को छोडा नही वो सभी परिस्थितीयो में इसका पालन करने के लिये वकालत की |उन्होंने अपना जीवन साबरमती में बिताया |वो धोती और सूत बनी शाल पैहन रहते थे| वो सदा शाकाहरी भोजन खाती थे और आत्मशुद्ध के लिये लंबे लंबे उपवास रखते थे |

गांधीजी के विचार धार्मिकता,नैतिकता और आध्यात्मिकता पर आधारित था गांधीजी की ब्रिटिश नागरिकों से की अपील भले ही आपकी पत्नी और बच्चे मारे जाएं,उन्हें मार दिया जाए,लेकिन लड़ाई न करें।गांधी के सामाजिक विचारों पर धर्म का बहुत बड़ा प्रभाव है।गांधी के विचार महत्वपूर्ण थे।

30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिरला हाउस में शाम 5:17 को हत्या कर दी | गांधी जब प्रार्थना सभा की तयारी  कर रहे थे |उनके हत्यारा नथुराम गोडसे ने उनके सिनेमे तीन गोलीया डाल दी |उन्होंने मरते समय हे राम कहा था |1949 को हत्यारा नथुराम गोडसे को मौत की सजा सुनाई |

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