भारतीय सिनेमा का इतिहास :Indian cinema history in hindi

2021 में भारतीय सिनेमा को 108 साल पुरे हो गये | भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म ‘राजा हरिक्षंद्र थी ।जिसे 1914 में लंदन में प्रदक्षित किया गया था। हालाकि ,भारतीय सिनेमा के सबसे पहले प्रभावशाली व्यक्तिमत्व दादासाहेब फालके ने 1913 से 1918 तक फिल्मों का निर्माण और संचालन किया।भारतीय फिल्म उद्योग की प्रारंभिक वृद्धी हाॅलीवुड की तुलना में तेज नही थी।

राजा हरिक्षद्र 1913 में बनी भारतीय मूक फिल्म थी।इसके निर्माता निर्देशक दादासाहेब फालके थे और यह भारतीय सिनेमा की प्रथम पूर्ण लंबाई की नाट्यरूपक फिल्म थी।फिल्म भारत की कथाओ में से एक जो राजा हरिक्षंद्र की कहानी पर आधारित है।यद्यापी फिल्म मूक है।इसमें दृश्यों के भितर अंग्रेजी और भितर कथन लिखकर समजाया गया है।क्योंकी फिल्म में अभिनय करने वाले सभी कलाकार मराठी थे।अंतःफिल्म को मराठी फिल्मों की श्रेणी में भी रखा जाता है।
  भारतीय सिनेमा का इतिहास 19 शत्बादी के पहले का है।1896 में, ल्युमेरे ब्रदर्स द्राराशूट की गई पहली फिल्म का प्रर्दशन मुंबई मे किया गया है।लेकिन वास्तव में सिनेमा का इतिहास तब बना, जब लोकप्रिय हरिक्षद्र सखाराम भाटवडेकर को सावे दादा के रूप में जाना जाता था।ल्युमेरे ब्रदर्स की फिल्म के प्रर्दशन से बहुत अधिक प्रभावित होकर उन्होंने इग्लंड से एक कैमरा मँगवाया था ।मुंबई में उनकी पहली फिल्म हँगिंग गार्डन में शूट कि गई थी।जिसे द रेसलर के रूप से जाना जाता था।यह एक कुस्ती मैच की सरल रिकाॅर्डीग थी।जिसे 1899 में प्रदर्शित किया गया था और भारतीय फिल्म उद्योग मे यह पहला चलचित्र माना गया।मूक फिल्म होने के बावजूद इसे व्यावसायिक सफलता मिली।दादासाहेब केवल निर्माता नहीं थे।बल्कि निर्देशक, लेखक, कैमरामैन, संपादक, मेकअप कलाकार और कलानिद्रेशक भी थे।राजा हरिक्षंद्र फिल्म 1914 मे लंदन  में प्रदक्षित किया गया था।दादासाहेब फालके सभी तरह में पारंगत थे |उन्होंने प्रिंटिंग मे भी काफी प्रयोग किये थे|वो सिनेमा के लिये बारे में सब कुछ जानकर उसका अध्ययन करते है |उसके वजहसे उनके एक ऑख की रोशनी भी चली गई थी | 


  भारतीय सिनेमा दादासाहेब फालके 1913 से 1918 तक 23 फिल्मो का निर्माण और संचालन किया ।भारतीय फिल्म उद्योग की प्रारंभिक वृद्धी  हाॅलीवुड की तुलना में तेज नही थी।1920 के दशक की शुरुआत में कई नई फिल्म निर्माण करनेवाली कंपनीया सामने आई|
 
भारतीय सिनेमा का संगीत भी एक महत्त्वपूर्ण हीसा है |फिल्म  में  संगीत अच्छा होने के कारण फिल्म मे हिट होती है|भारत में मसाला, रोमान्स,डान्स गाणे,इस वजहसे भारतीय फिल्म व्यवसाय करती है | 20 के दशक में महाभारत और रामायण पौराणिक की  वजहसे गहरा प्रभाव पडा है |ऐतिहासिक आधार पर भारतीय फिल्मे चल रही थी |भारतीय दर्शकोंने हाॅलीवुड की फिल्मे ज्यादा तर एक्शन फिल्म में उनको अच्छी लगी |भारत में टाॅकीज द्वारा लगाई गई पहली हिंन्दी फिल्म निर्मित करने वाले  अर्देशीर ईरानी ने 14 मार्च 1931 में बाॅम्बे  ‘आलमआरा’ जोकीसन ये  ध्वनी फिल्म बनाई थी |भारत के बाहर के दर्शकों के लिये भारतीय फिल्मे डीवीडी के रूपसे व्यवसाय करते है |हाला की अब सिनेमा घरों और मोबाईल के जमाने के वजह से डीवीडी का जमाना नही रहा

भारत स्वतंत्र के बाद भारत का विभाजन हुआ तो कई स्टुडिओ पाकिस्तान के पास चले गये |इस विषय पर दंगे और चालू हुये|1937 में पहली कलर फिल्म आई जिसे मोती बी गिडवाणी ने बनाया जिसका नाम था ‘किसन कन्हया’
भारत सरकार ने 1948 को भारतीय फिल्म के लिये ‘फिल्म डिवीजन स्थापित किया |1994 से 1960 तक के अवधी में भारतीय फिल्म ने कई अच्छी फिल्मे दिये और सर्वाधिक पहचानी जानी वाली फिल्मे बनी|इस अवधी को भारतीय सिनेमा का स्वर्ण युग माना जाता है |इस स्वर्ण युग की कई फिल्मे दर्शकोंके और समीशिकों के अनुसार सर्वकालीन बेस्ट फिल्म थी |जैसे (मेहबूब खान की मदर इंडिया, गुरुदत्त की प्यासा और कागज के फूल, राज कपूर की आवारा इ|1960 को एफ्रो एशियाई फिल्म समारोह में आंतरराष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय अभिनेता सिवाजी गणेशन को दिया |

1970 के दशक मे सिनेमा के बेहत्तरीन फिल्मों से आंनद, अमर प्रेम (1971),कटी पंतग 1972 ,इन फिल्म से राजेश खन्ना इसमे प्रसिद्ध हुये और भारतीय सिनेमा का पहला महानायक बने |जंजीर( 1974),शोले (1975)इस फिल्मो मे अमिताभ बच्चन को दुसरे महानायक बनाया |ये फिल्मे भारतीय सिनेमा की सफलता में से एक हैं |

बाद में भारतीय सिनेमा और भी कुछ बेहतरीन फिल्मे आई जैसे अमिर की लगान, नरगिस दत्त की मदर इंडिया, शाहरुख खान की दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे |इसके बाद हरतरीके भारतीय सिनेमा में अक्शन, थ्रीलर,रोमॅन्टिक, काॅमेडी, म्युजिकल फिल्म आने लगी |

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