Hadi Rani History In Hindi:हाड़ी रानी का इतिहास
हाड़ी रानी राज्यस्थान के हाड़ा चौहान राजपूत की बेटी थी। उनकी शादी मेवाड के सरदार राव रतनसिंह चूड़ावत से हुई। उनकी शादी कुछ दिन पहले हुई थी ।तब सरदार रावरतन सिह को राजपूत राजा महाराणा राजसिंह प्रथम ने मुघल सैनिकों के खिलाफ लढने के लिये भेजा था।वह जानेसे थोडे झिझक रहे थे।क्योंकी उनकी हाल ही में शादी हुई थी इसलिये उन्होंने अपनी पत्नी से एक स्मृती चिन्ह देणे के लिये कहा।हाड़ी रानी को लगा की उनके काम में वो बाधा बन रही हैं।इसलिये उन्होंने अपना सिर धड से अलग कर एक थाली में रखा अपने दास से कह कर राजा रतन सिंह को दे दिया ।

राजा रतनसिंह ये देखकर दुःख हुआ। लेकीन गर्व भी हुआ। उन्होंने वो सिर अपने गर्दन पर धारण किया और लढने चले गये । उन्होंने उस लढाई बडी बहादुरी दिखाई और मुघलों को भगा दिया उन्होंने वह लढाई जितली लेकीन की इच्छा खो दि।अपने घुटनों पर गये और प्राण की आहुती दे दी ।
राजस्थान में आज भी हाड़ी रानी की गाथा सुनने को मिलती है उनकी आज भी पूजा की जाती हैं।