कोहिनूर हिरा का पूरा इतिहास:Complete History of Kohinoor diamond

कोहिनूर हिरा का इतिहास दिलचस्प कहानियों से भरा पड़ा है।  इस हीरे को कभी बेचा या खरीदा नहीं गया।  हालांकि, उसके मालिक बदल गये । कोहिनूर हिरा   दुनिया का सबसे बड़ा महंगा हीरा और स्थानिय भारत का हिरा हैं ।कुुछ के अनुसार  कोहिनूर थोड़ा चमकदार नहीं था लेकिन यह थोड़ा और पीला हुआ था  । लगभग यह चार  पाच हजार साल पहले, यह हिरा भारत के गोलकुंडा की खानों में पाया गया। 

महाभारत और विष्णुपुराण में भी कोहिनूर हिरा

     विष्णुपुराण और महाभारत में एक शंमतका मणी   कोहिनूर हिरा  ही था येसा कुछ लोगोंका कहना हैं । सूर्यजी ने सत्यजित नामके राजा का ये हिरा था । सत्यजित राजा ने अपने भाई प्रसेन को  दिया तो वो हिरा   अपने पास रख कर शिकारी को गये। वहाॅ एक शेर ने उन्हे मार दिया और वहा से हिरा ले लिया।  बाद में ज़म्बुंवता ने शेर को मार कर हिरा पा लिया । हालाँकि, इस हिरे का चोरी का आरोप श्रीकृष्ण पर आया। श्रीकृष्णजी ने हिरे को खोजा और जम्बुंवता से युद्ध कर के , अंत में, ज़म्बुवंता श्रीकृष्णजी को शरण आया और उनको हिरा और अपनी बेटी जम्बुंवती का प्रस्ताव दिया । श्रीकृष्णजी ने बाद में स्यमंतक हिरा सत्यजित राजा को लौटा दिया ।  इसके बाद, सत्यजित राजा की  बेटी सत्यभामा  की शादी श्रीकृष्ण से हुई और श्रीकृष्णजी को वरदक्षिणा में ये स्यमंतक हिरा मिला। आगे श्रीकृष्णजी ने सूर्य को ये हिरा  लौटा दिया येसा कहते हैं ।
         

कोहिनूर हिरा

कोहिनूर के वर्तमान आकार की ग्लास प्रतिकृती

कहा जाता है कि कोहिनूर हिरा पुरुषों को नहीं मिलता है।  उनके अधिकांश लोग मालिकों की एक दुखद मौत हो जाती हैं।  महिलाओं को उसने बहुत परेशान नहीं किया गया ।

कलीयुग में कोहिनूर हिरा

सन 1650 को गोवलकुंडा खाणी में ये हिरा मिला ।मीर जुमला (औरंगजेब का वफादार )वो खाणी का माल्लिक था । हिंदू गरीब लोग उनके खाणी में काम करते थे ।ये काम बहोत कठीण था ।मीरजुमला खाणी में काम करणेवाले मजदुरोंके साथ दुर्व्यवहार करता था ।उनको पगार नहीं देता था ।गरीब ,अवहेल परिवार ,मजदूर पैसों के लिये होती छुपा कर रखते थे ।और मीरजुमला उनके उपर शक करके उनको मृत्यू जैसी कठोर शिक्षा था ।मजदुर अत्याचार बढ रहे थे ।और उनको आगे कैसा होगा ये पात्रता नहीं था तभी एक वक्त गरीब मजदूर को कोहीनूर हिरा मिला ।जानकारी देणे के लिये इतनी देर लगाई इसलिये  उसे बहोत बेहरूसी मारा उसका उत्पडित किया । मरणे से पहले उसने  गरीब इंसान ने हिरे को शाप दिया की जिसके पास होगा उसका नाश होगा।

कोहिनूर हिरा
कोहिनूर हिरा

                                                                  

कोहिनूर की कहानी 

  गोवलकोंडा राजाने  ये महान हीरे को रखा। मीर जुमला  उसके साथ  लढे । औरंगजेब ने मुगल सम्राट को गोवलकोंडा पर हमला करने के लिए लाया। कोहिनूर का दूसरा मालिक औरंगजेब, सबसे शक्तिशाली मुगल था। उस क्षण से कि कोहिनूर हिरा उसके पास आया, उसके दुःख की शुरआत हो गई और उसकी 1707 में उसकी मृत्यू हो गई।शाह आलम औरंगजेब,  [बहादुर शाह] के बाद, यह कुछ सालों से कोहिनूर था। 1712 में, मुगल एक अजीब बीमार होने के कारण उसके मरने के बाद कोहिनूर हिरा मुघलोंके PEACOCK तख्त ए ताऊस मयुर सिंहासन में कोहिनूर डाल दिया।


 शाह आलम उर्फ बहादूर शाह के बाद, जहादर शाह एक साल में अपने तीन भाइयों की हत्या के बाद मुगल सम्राट बना दिया । उसे गिरफ्तार किया , 1713 में, उसको गला दबाकर हत्या कर दी गई थी।फराखेसियन: कोहिनूर हिरा का पांचवां मालिक फ्रिचे के लिए कुछ समय के लिए सम्राट बन गया। उसके परिवार ने उसे परेशान और छल कर उसे अंधा बनाकर कारावास भेज दिया। उसने भागने के लिए रिश्वत देने की कोशिश की, लेकिन 1719 को उसकी गला दबाकर  हत्या कर दी।फिर मामूली मुगल बादशाह की और अन्य मुगल सम्राट, जो कुछ महीनों के लिए सम्राट थे, किस्मत से वो मर गए।

 कोहिनूर हिरा के आठवें मालिक मुहम्मद शाह ने कहा कि दिल्ली गद्दी पर बैठ गया‌ । अगले साल उसने अपने भाई  की हत्या कि। उन्हें कई युद्धों का सामना करना पड़ा और  मुगल साम्राज्य  शासन खत्म हो गया।  1739 में, नादिर शाहने पर्शियनसे भारत में  हमला किया और सम्राट नष्ट कर दिया ।1739 में, उन्होंने मुगल साम्राज्य के सबसे गहन हल्ला किया। नादिर शाह की क्रूरता का उल्लेख किया गया था। उन्होंने दिल्ली में लाखों पुरुषों, महिलाओं और बच्चे को मार दिया। और वह जात जाते वो कोहिनूर ले गया ।नादिर शाह इस तरह के एक शक्तिशाली सम्राट और कोहिनूर के नववे मालिक नादिर शाह ने अहमद अब्दुल्ला की हत्या कर दी।कोहिनूर का मालिक अब अहमद शाह दुरानी। नादिर शाह, का हत्यारा येसा कहते कि  नादिर की  हत्या अब्दालीन ने कि।


अहमद शाह कोहिनूर हिरा का अगला मालिक बन गया। उन्होंने अफगानिस्तान दुर्राणी परिवार  की स्थापना की। पानिपत  के तीसरे युद्ध में मराठा के साथ जीता था। फिर भी एक दयनीय जीवन बिता । उसका  बेटा तैमुर अहमद शाह, जो सिख का दुश्मन था , उसने हजारों हजारों शिख  की हत्या कर दी, और सोने का मंदिर नष्ट किया था।तैमूर  कोहिनूर हिरा का 11 वा मालिक, 24 बच्चों का  पिता, तैमूर एक अक्षम मूर्ख थे, जिन्होंने एक दुर्रानी साम्राज्य का सही वक्त  अंत किया। हुमायूं तैमूर का बेटा हुमायून आगे  मालिक बन गया। हुमायुने अपने भाई जमान शाहको  अंधा किया, और उसे मार डाला। कोहिनूर के 13 वें मालिक झेमन शाह के उपर भाई महसूद अंधा बनाकर हत्या किई कोहिनूर का14 वें मालिक महमूद शाह क उसका भाई  शाह ने उसे हराया। शुजा शाह कोहिनूर हिरा के आखिरी मुस्लिम मालिक थे। वह  कोहिनूर को लेके पंजाब  में आ गया।राजा रणजीत सिंह उस वक्त के भारत के सबसे शक्तिशाली शासक थे। उन्होंने शुज को हराया और कोहिनूर देने को  कहा। कमजोर और पराभूत  शाह ने हीरे को सौंप दिया। सिख के साम्राज्य को हीरा मिला।


     जगन्नाथ मंदिर कोहिनूर हिरा का 17 वां मालिक था  1839 में, महाराजा रणजीत सिंह ने  जगन्नाथ मंदिर को हिरा सौपा दिया। वो लाहौर के तिजोरी में रखे हैं । क्योंकी कोहिनूर, रंजीत सिंह विशेष अवधि के लिए नीचे जा रहे हैं। रणजीतसिंह का बेटे खरकसिंह आगे  राजा बन गया। लेकिन उसको जेहर देकर उसकी हत्या की खरकसिंह  के अंतिम संस्कार करते समय उस स्थान ,उसके जगह उसके  बेटे के उपर चाकू के वार किये । खरकसिंह ने एक साल तक शासन किया। चंदकौर बाद दो महीनों में वो गादीपे बैठे । 

  शेरसिंह ने दो साल  के बाद  1843 में शेरसिंह की मौत हो गई। और फिर युद्ध शुरू हुआ।  ब्रिटिश तीन साल से दो बार लड़ा । 1849 को, अंग्रेजों ने पंजाब जीता। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी कोहिनूर की मालिक बन गई। 3 जुलाई, 1850 को, ईस्ट इंडिया कंपनी ने लौड डलहौजीने हिरा रानी विक्टोरिया को दिया। डलहौजी तुरंत मर गया।
  1853 में, विक्टोरिया के पति, प्रिंन्स अल्बर्ट ने  हिरे तोडने का आदेश दिया ।उसके बाद उसका मृत्यू हो गया टुकड़ों से अलग होने के कारण अल्बर्ट की मूर्खता के कारण  मूल हीरे का वजन कम हो गया। आगे हीरे को लंदन (लंदन टॉवर) में रानी के खजाने में रख दिया ।  1857 में, दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी, ईस्ट इंडिया कंपनी पूरी तरह से नष्ट हो गई ।
1850 को हीरे को देखने के लिये लोंगों को इग्लंड में खुला किया था तब उनका इसलिये हिरे को पैलू पाड दिये।तंबी उसके कॅरट उतर गये।वो हिरा पहले 186 कैरेट में 105 कैरेट्स की कमी हुई। वर्तमान में, लंदन (लंदन टावर) में रानी ट्रेजरी में हीरा देखा जा पाया गया है।

  भारत ने कोहिनूर हिरा वापस पाने के लिए कुछ प्रयास किए थे। 1947 में, आजादी के बाद, अंग्रेजों ने भारत द्वारा मांग कोहिनूर हिरा की मांग की। तो प्रधान मंत्री पंडित नेहरू ने कहा, ‘राजा-महाराज का खेल हैं हिरे,आगे भारत को इसकी आवश्यकता नहीं है। पाकिस्तान के तानाशाह, ईरानी सरकार,  महारानी महाराजा रणजीत सिंह के वारसदार ने कोहिनूर को भारत की मांग के लिए एक बाधा  डाली। बेशक, इन सभी बातोओं को अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था। इसके माध्यम से अंग्रेजों ने कोहिनूर की आत्म-स्वीकृति नहीं की, वह खुद   ने अपने पास कोहिनूर रखा । उनके काटो और राज्य करो ये पैटर्न का ये नमुना हैं।

फिर भी, कोहिनूर हिरा  भारत लौटाने के लिए  विवाद उठ रहा है। पंजाब के आखिरी महाराजा रणजीत सिंह अपने मृत्यू समय में थे तब उन्होंने अपने  मृत्युपत्र में कोहिनूर हिरा जगन्नाथपुरी (ओरिशा) में, जगन्नाथमदिंर को  हिरा दान किया था। इस दावे की तरह, कोहिनूर जगन्नाथको (श्रीकृष्ण)  को वापस देकर उसे जगन्नाथ के पाव पर रखकर उसे  देखना सबसे अच्छा विकल्प है। इस तरह कोहिनूर श्रीकृष्ण से होकर हि श्रीकृष्ण से पूरा हो गया।       

आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो कमेंट करके जरूर बताना और इस पोस्ट में कोई कमी हो तो कमेंट करके सूचित किजीए।

<< बाॅलीवुड क्वीन कंगना राणावत की बायोग्राफी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!