छत्रपती शिवाजी महाराज की  जीवनी : Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography

        हिंदुस्थान के महानायक ,हिंदवी स्वराज्य के अधिनायक ,महाराष्ट्र के पूजनीय दैवत गौ ब्राम्हण प्रतिपालक यंवनपरपीडक पौढ प्रताप पुरधंर क्षत्रिय कुलावंतक्ष,राजाधिराज,महाराज,योगिराज,श्री श्री श्री छत्रपती शिवाजी महाराज शिवनेरी किल्ले पर फाल्गुन वद्य तृतीया शके 1551 शुक्रवार 19  फरवरी 1630 को छत्रपती शिवाजी महाराज जी का  मराठा परिवार में जन्म  हुआ |शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य के महानायक थे |उनके पिताजी शाहजी भोसले मराठी प्रमुख सेनापती थे |शिवाजी महाराज अपनी माॅ जिजाबाई से ज्यादा जुडे हुये थे|उनके पिताजी शहाजी मुघलोंसें लडने के लिये बाहर व्यस्त रहते थे|

उनकी माॅ उन्हे संत एकनाथ महाराज के भारूड महाभारत ,रामायण,भगवद्गगिता आदि धार्मिक ग्रंथ, कहानिया सुनाती थी और उन्हे युद्धकला राजनितीशास्त्र की शिक्षा दि|इसलिए वो छोटी सी उमर में धाडसी और स्वावलंबी बने| उनको हर महत्वपूर्ण अवसर पर जिजाबाई मार्गदर्शीत किया |

शिवाजी महाराज के पिताजी ने दुसरा विवाह किया और वो अपनी पत्नी के साथ आदिलशा के यहा सैन्य प्रस्थापित किया |शिवाजी महाराज 15 साल की उमर मे ही गाॅव के अशिक्षित लोंगो एकत्रित करके उनको मुघल के अत्याचार और नोकर के व्यवहार से मुक्ती देणे के जुड गये|उन्होंने अपनी तलवार हुठाकर और शिव को अपने हात के खून से टिका लगाकर शपत लि वो स्वराज्य का रक्षण करेंगें|तब पिताजी के चलते  मराठोंकी सेना  केवल 2000 थी लेकीन शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेके सेनापती लाखोमें बढ गई |  वो अपने शरीर को मजबूत रखने के और भूमी के ज्ञान के लिये वो अपने मावलोंके साथ पहाडीयों जगलों में फिरते थे |शिवाजी महाराज छापा डालकर युद्ध करते थे और गणिमी कावा के साथ युद्धपे जाते थे| 1640 में निंम्बालकर परिवार की सईबाई से शिवाजी महाराज का विवाह हो गया |

छत्रपती शिवाजी महाराज

     शिवाजी महाराज के पिताजी को आदिलशा ने कारावास भेज दिया |लेकीन शिवाजी महाराजने आदिलशाह को अपने ओर किया और पिताजी को वहीसे मुक्त किया |1645 में 15 वर्षे की उम्र में उन्होंने आदिलशाहसे लढाई की और तोरणा किल्ला जित लिया ये उनकी पहली जित थी |तब आदिलाशाह ने अफजल खान को   छत्रपती शिवाजी महाराज मारने को कहा|अफजल खानने उनको मारले की तरकीब सोची और शिवाजी  महाराज को मिलने बुलाया| शिवाजी महाराज को अफजल खान की धोकेबाजी का  कल्पना थी इसलिए उन्होंने सावधानी के लिये चिलखत (कवच)चढाई |और साथ में खंजीर चिलखत मेंऔर बाघनखे हात के पंजे में रखी| शिवाजी महाराजा के साथ में उनके जानी सेनापती जिवा महाला थे |और अफजल खान के साथ सय्यद बंडा प्रसिद्ध दांडपट्टेबाज था|जब शिवाजी महाराज को आते देखा तब अफजल खान बोला “आवो शिवाजी आवो मेरे गले मिलो ” |जब शिवाजी महाराज उनके गले मिले तब अफजल खानने उनके उपर खंजीर खुपसा लेकीन शिवाजी महाराज चिलखतथा इसलिए वो बच गये अफजल खान के धोकेबाजी देखकर  उन्होंने बाघनखे अफजल खान के पेट घुसाई | अफजल खान की दर्दभरी  चीख सब जगह फैल गई |तब सय्यद बंडाने  शिवाजी महाराज पर दांडपट्टे का बडा वार किया  लेकीन ये वार जिवा महालाने अपनेपे ले लिया| और शिवाजी महाराज की जान बचाई |अफजल खान की मौत के बाद उनके शरीर को इस्लाम तरीकेसे अतिंमसंस्कार किये| अफजल खान की कबर प्रतापगड में बनाई गई | अफजल खान की मौत कि वजह आदिलशा ने अपने सेनापती सिद्धी जोहर को स्वराज्य पर आक्रमण करने का आदेश दिया|सिद्धी की आक्रमण की बात सुनकर शिवाजी महाराज पन्हालागड पर गये |लेकीन ये बात सिद्धी उसने किल्ले को घेर लिया |शिवाजी महाराज पास के विशालकिल्ले पर जाना उचित समज लिया|लेकीन पन्हालागड के रास्ते पर सिद्धी के सैन्य ने घोडखिंड में उनको गाठ लिया उनकी कडी जंग चालू हो गई |तब शिवाजी महाराज के जानी दोस्त मावला बाजीप्रभू देशपांडे ने शिवाजी महाराज को  रुके नही वह विशालकिल्ले पर पौंहच कर तीन तोफोंकी  आवाज नही आयेगी तब तक ममें खिंड की जंग चालू रखूगाँ |लेकीन शिवाजी महाराज को ये मान्य नही था लेकीन बाजी की चलते उनको ये माना पडा| बडी जंग हुई  तोफोंकी आवाज सूनने के लिये बाजीप्रभू अपने प्राण छोड दिया |शिवाजी महाराज को ये बात दिल को लगी|उन्होंने इस खिंड का नाम पावनखिंड रखा |बाजीप्रभू के बलिदान से पावन हूई वो पावनखिंड | उन्होंने पन्हालागड अपने काबु में किया | शिवाजी महाराज का महिलोंके प्रति आदर था |वो किसी दुसरे धर्म का अपमान नही करते थे |उन्होंने हिंदू स्वराज्य का साम्राज्य खडा किया | इसका मतलब ये नही वो इस्लाम विरूद्ध थे|उनके सेना में कई मुस्लीम सेनानी थे|

          शिवा काशिद एक शिवाजी महाराज के सेनापती  थे। उन्होंने शिवाजी महाराज के लिये और स्वराज्य के लिए अपने प्राणोंका बलिदान दिया |इसलिए शिवाजी महाराज  सिद्धिजोहर के सखारूप विशालकिल्ले पर पहुँचे। शिवा कासिद शिवाजी महाराज की तरह दिखते थे।इसलिए सिद्धी जोहर को लगा की यही शिवाजी है और  शिवा को पकडलिया ,लेकिन ये शिवाजी नही ये जाने के बाद  जोहर कहते हैं कि अब तू मरने के लिए तैयार रह। तब शिवा कासिद ने कहा कि शिवाजी राजा अब सुरक्षित विशालकिल्ले पर पौंहच गये और अब मैं मरने के लिए तैयार हूं। बहुत सारे ऐसे हजार  सेनानी है जो शिवाजीमहाराज के लिये मरने को तयार है|ये सूनने के बाद उनको शिर काट दिया। शिवा कासिद को  वीरमरान आया |उनका मकबरा पन्हालगढ़ के  यहा  पर है।

     शिवाजी महाराज जी का 1767 को रायगड में राज्यभिषेक हुआ और उनको छत्रपती किताब मिला | शायिस्तखान अपनी फौज लेकर चाकन के किला में आ गये तब शिवाजी महाराज अपने मावलों के साथ उनपर हमला किया जब शायिस्तखान बचने के  लिये खिडकी के रास्ते से निकले तब उनकी उँगली कट गई और वो बचकर भाग निकले |शिवाजी महाराज आज्ञा के चलते बुढे, बच्चे, स्त्री कोईभी हानी न पोहचतें सुरत की लूट कि गई जयसिंग ने शिवाजी महाराज पर हमला किया इस लढाई में शिवाजी महाराज को हार और हमी दिखने लगी इसलिए जयसिंग और शिवाजी महाराज दोंनो में संधी हुई |जिसमे शिवाजी महाराज को अपने 23  किल्ले मुंघलोंके दिये और मुघलोंकों जुर्मान के वजह से 4  लाख रूके दिये |

 शिवाजी महाराज का मावला नेताजी पालकर को धर्म परिवर्तन करने को कहा |वो मुघलोंमें शामिल हुये |दस साल के बाद वो शिवाजी महाराज के पास वापस आ गये  और उन्होंने हिंदू धर्म स्विकार लिया | इसलिए नेताजी पालकर को बहादुरी पुरस्कार भी दिया |18 अगस्त 1616 को औरंगजेबने शिवाजी महाराज और उनके बेटे संभाजी को आगरा बुलाया |  लेकीन आगरा में उन्हे सन्मान नही मिला |औरंगजेब जिसने पुरे भारत को कबजेमें लिया था लेकीन वो शिवाजी महाराज  के नाम से भी डरता था |वह यैसे एक मात्र राजा थे|

   शिवाजी महाराज को औरंगजेब ने जयपुरभवन में नजरकैद किया |औरंगजेब ने  शिवाजी महाराज और संभाजी को मारने का सोच लिया |तब शिवाजी महाराज ने अपनी बिमारी का बहाणा  किया  आगरा में संत फकीर लोक मजदूर मंदिरोंमे में किल्ले पर मिठाई, उपहार भेजने के लिये जाते थे | 13 अगस्त 1666 को  शिवाजी महाराज जी ने ठोकरी में संभाजी को बिठाया और वो मजदूर बनकर वहा से भाग निकले|शिवाजी महाराज 12 सितबंर 1666 में रायगड में मराठोंके राजा बन गये|             

  शिवाजी महाराज ने पश्चिम महाराष्ट्र में जब स्वांतत्र्य हिन्दूं राष्ट्र स्थापित किया |तब वो राज्यभिषेक करना चाहते थे | लेकीन ब्राह्मण लोंगोके मुघल धमकी थी राज्यभिषेक करोगे तो उनकी हत्या होगी |ये बात शिवाजी महाराज तक पहुंची वह ब्राह्मण के साथ नदियों का पवित्र पाणीसे शिवाजी महाराज का राज्यभिषेक हुआ |18 जून शिवाजी महाराज को छत्रपती पदवी दि गई | राज्यभिषेक के बाद उनकी माॅ जिजाबाई की मौत हो गई |6 जून 1674 को दुसरे वक्त उनको छत्रपती  की पदवी दि गई |शिवाजी महाराज 1680 को बिमार हो गए और 3 एप्रिल 1680 को 52 वर्षे की उम्र में छत्रपती शिवाजी महाराज का देहांत हो गया |वो जिये और लढेभी हिंदवी स्वराज्य के लिये हिंदू धर्म के लिये|

      छत्रपती शिवाजी महाराज की कुलदेवी तुळजापूर की भवानी माँ ने प्रसन्न होकर तलवार दी थी उसे भवानी तलवार कहते है और वो इस वक्त लंदन में है |आंध्र प्रदेशच्या श्रीशैलममें शिवाजी महाराजा का मंदिर है| ये मंदिर यहाके मंदिरोंसेभी ज्यादा  संदुर है |इस मंदिरमें शिवाजी महाराज का  जीवनचरित्र दिवार पर लगाया गया है|और उसमे  शिवाजी महाराजां की पराक्रम के यशोगाधा लिखी है|छत्रपती शिवाजी महाराज हिंदुस्थान के सबसे महान योद्धा थे |येसा कोई राजा न था ना कभी बन पायेगा | येसे मेरे राजा छत्रपती शिवाजी महाराज को दंडवत प्रणाम |

          “छत्रपती शिवाजी महाराज  की जय ”  

               “जय भवानी जय शिवाजी

One thought on “छत्रपती शिवाजी महाराज की  जीवनी : Chhatrapati Shivaji Maharaj Biography

  • February 23, 2022 at 4:36 am
    Permalink

    JAY BHAVANI JAY SHIVAJI

    Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!